लाल बहादुर शास्त्री जी के अनमोल विचार

लाल बहादुर शास्त्री जी  के अनमोल विचार

लाल बहादुर शास्त्री जी  के अनमोल विचार-


लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था, लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के प्रमुख नेताओं में से एक थे और शास्त्री जी ने देश को स्वतंत्रता के लिए अनेक लड़ाइयाँ लड़ी और दूसरे लोगों को भी संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रेरित भी किया। शास्त्री जी गांधी से बहुत अधिक प्रभावित थे और वे गांधी जी के विचारों का अनुसरण करते थे, वे अनेकों स्वतंत्रता आंदोलनों में गांधी जी के साथ रहे और कभी भी अहिंसा के मार्ग से विचलित नहीं हुए। 


शास्त्री जी जवाहर लाल नेहरू के बाद देश के दूसरे प्रधान मंत्री थे, शास्त्री जी ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया जो भारत और पाकिस्तान के बीच में 1965 में हुए युद्ध में बहुत प्रचलित हो गया। शास्त्री जी ने किसानों और जवानों को प्रोत्साहित करने के लिए साथ आए जो दिन रात मेहनत करते थे 
और जवान देश की सेवा करते थे यह नारा आज भी बहुत अधिक प्रचलित है जो जवानों के साथ-साथ किसानों को प्रोत्साहन देने का काम करता है। 10 जनवरी 1966 को ताकशंद में कार्डियक अरेस्ट के कारण शास्त्री जी का एक रहस्यमयी तरीके से निधन हो गया। 

 

बाल गंगाधर तिलक के अनमोल विचार

लाल बहादुर शास्त्री जी  के अनमोल विचार

1.यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते. मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा. लेकिन यह मेरा नीजी मामला है. राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है. राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष कल्याण , स्वास्थ्य , संचार, विदेशी संबंधो, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा ,लेकिन मेरे या आपके धर्म        का नहीं. वो सबका निजी मामला है। 

2.हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने जो ज़रूरी काम हैं उनमे लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करने से बढ़ कर कोई काम नहीं है। 

3.भ्रष्टाचार को पकड़ना बहुत कठिन काम है, लेकिन मैं पूरे जोर के साथ कहता हूँ कि यदि हम इस समस्या से गंभीरता और दृढ संकल्प के साथ नहीं निपटते तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल होंगे। 

4.देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है. और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है। 

5.लोगों को सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसा से प्राप्त नहीं हो सकता है। 

6.यदि कोई एक व्यक्ति को भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा। 

 7.हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं। 


8.कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और और भी मजबूत बने। 

9.आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे ज़रूरी हैं, और यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोजगारी से लड़ें। 

10.जो शाशन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशाशन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं. अंततः , जनता ही मुखिया होती है। 

11.विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों का प्रावधान करने से नहीं मिलती, बल्कि यह समस्याओं और उद्दश्यों को बुद्धिमानी और सतर्कता से चुनने से मिलती है.और सबसे बढ़कर जो चीज चाहिए वो है निरंतर कठोर परिश्रम समर्पण की। 
 
12.हम अपने देश के लिए आज़ादी चाहते हैं, पर दूसरों का शोषण कर के नहीं , ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखा कर….मैं अपने देश की आजादी ऐसे चाहता हूँ कि अन्य देश मेरे आजाद देश से कुछ सीख सकें , और मेरे देश के संसाधन मानवता के लाभ के लिए प्रयोग हो सकें। 

13.आज़ादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नही है . पूरे देश को मजबूत होना होगा। 
 
14.हम सभी को अपने अपने  क्षत्रों में उसी समर्पण , उसी उत्साह, और उसी संकल्प के साथ काम करना होगा जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है. और यह सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है। 

 15.मेरी समझ से प्रशाशन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाये ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ सके। 

महात्मा गांधी जी के अनमोल विचार