दोस्तों प्रोत्साहन एक ऐसी चीज होती है जो हमारे अंदर के छिपे हुए टैलेंट को बाहर ले कर आ सकती है इसलिए जब भी हमें किसी को प्रोत्साहित करने का अवसर मिले तो उसे जरूर प्रोत्साहित करना चाहिये ताकि उसके अंदर छुपे हुए टैलेंट को निकलने में मदद मिल सके।
मूर्ख व्यक्ति भी विद्वानोंके साथ मे रहकर विद्वान बन जाता है और विद्वान व्यक्ति भी मूर्खों के साथ रहता है तो उसमे मूर्खता आ जाती है, इसलिए हमे किसी की भी संगति सोच समझकर करनी चाहिए।
Tere Khayal Se Khud Ko Chhupa Ke Dekha Hai,
Dil-o-Najar Ko Rula-Rula Ke Dekha Hai,
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,
दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,