वो आज खूने-दिल से मेंहदी लगाये बैठे हैं,
सारे किस्से मेरे दिल से लगाये बैठे हैं,
ख़ामोशी में भी एक शोर है उनकी,
सुर्ख जोड़े में खुद को बेवा बनाये बैठे हैं।
एक बार की बात है एक महात्मा बहुत लंबी दूरी की यात्रा करते हुए गाँव की ओर आ रहे थे, महात्मा जी ने सोच क्यों ना इस गाँव में रुककर आराम कर लिया जाए और फिर अगले दिन अपनी यात्रा को फिर से शुरू कर देंगे। महात्मा जी गाँव में देखकर गाँव वाले प्रसन्न हो गए और उन्होंने ने महात्मा जी खूब आदर और सम्मान किया, लेकिन जब जब महात्मा जी गाँव के भ्रमण पर निकले तो उन्होंने देखा कि गाँव के लोग एक दूसरे बात नहीं कर रहे हैं और एक दूसरे को ईर्ष्या की भावना से देख रहे थे, तभी महात्मा जी सोचने लगे आखिर इसके पीछे की क्या वजह हो सकती है।
रहीम दास जी का जन्म 1556 में लाहौर पाकिस्तान में हुआ था। रहीम दास जी का पूरा नाम अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना था। रहीम दास अकबर के नौ रत्नों में से एक थे। रहीम दास बैरम खान और सलीमा सुल्ताना के पुत्र थे। रहीम के पिता बैरम खान मुगल शासक अकबर के 13 वर्ष तक संरक्षक थे।