दोस्त का जवाब

दोस्त का जवाब

दोस्त का जवाब

बहुत समय पहले की बात है की दो दोस्त किसी अनजान इलाके से होकर शहर की ओर जा रहे थे, गर्मी बहुत ज्यादा होने के कारण वे बीच-बीच मे रुककर आराम कर लेते थे| उन दोस्तों ने अपने साथ खाने-पीने की चीजें भी रखी हुई थी, चलते-चलते जब दोपहर में उन्हे भूख लगी तो उन्होंने एक जगह पर बैठकर खाने का निर्णय किया। 

खाना खाते समय दोनों दोस्तों के बीच मे किसी बात पर बहस छिड़ गई धीरे-धीरे बात इतनी आगे बढ़ गई की एक दोस्त ने दूसरे को  थप्पड़ मार दिया, लेकिन थप्पड़ खाने के बावजूद भी दूसरा दोस्त शांत रहा और उसने किसी प्रकार का विरोध नहीं किया,  उस बस एक पेड़ की टहनी उठाकर मिट्टी पर लिखा- "आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने थप्पड़ मार दिया है "

 

थोड़े समय के बाद वें दोनों फिर आगे की ओर बढ़ रहे थे लेकिन लड़ाई होने के कारण वे दोनों एक दूसरे से बात तक नहीं कर रहें थे तभी जिस दोस्त ने थप्पड़ खाया था उसके चीखनें के आवाज आई वह दोस्त गलती से किसी दलदल मे फँस चुका था दूसरे दोस्त ने तुरंत जल्दी से मदद के लिए पँहुचा और अपने दोस्त को दलदल से निकाल लिया। 

इस बार उस दोस्त ने कुछ नहीं बोला बस एक नुकीला पत्थर लिया और एक पेड़ पर लिख दिया- " आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान दलदल से बचाई है "

लेकिन ऐसा देखकर दूसरे दोस्त को रहा नहीं गया और उसने अपने दोस्त से पूछा "जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा था तो तुमने मिट्टी मे लिखा था और जब मैंने तुम्हें दलदल से बचाया था तो तुमने पेड़ पर क्यों लिख दिया ऐसा क्यों ?"

तभी दोस्त ने जवाब दिया -  "कभी कोई हमें तकलीफ दे तो हमें उसे अपने अंदर नहीं बैठाना चाहिए ताकि क्षमा रूपी हवाएं इस मिट्टी के समान उस तकलीफ को हमारे अंदर से बहा ले जाए लेकिन जब भी कोई हमारे लिए अच्छा काम करता है तो उसे इतनी गहराई से अपने मन मे बसा लेना चाहिए ताकि वो कभी भी हमारे अंदर से ना  मिट सकें "