Saahil Pe Pahunchne Se Inkaar Kise Hai Lekin,
Toofano Se Ladne Ka Maza Hi Kuchh Aur Hai,
साहिल पे पहुंचने से इनकार किसे है लेकिन,
तूफ़ानो से लड़ने का मज़ा ही कुछ और है,
तेरे सीने से लगकर तेरी आरजू बन जाऊँ,
तेरी साँसो से मिलकर तेरी खुश्बू बन जाऊँ,
Tere Seene Se Lagkar Teri Aarzoo Ban Jaun,
Teri Saanso Se Milkar Teri Khushbu Ban Jaun,
जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते,
ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंजिल अपनी दोस्तों,
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।