हर धर्म में प्रेम, करुणा, और भलाई का पोषक कोर है। बाहरी खोल में अंतर है, लेकिन भीतरी सार को महत्त्व दीजिये और कोई विवाद नहीं होगा। किसी चीज को दोष मत दीजिये, हर धर्म के सार को महत्त्व दीजिये और तब वास्तविक शांति और सद्भाव आएगा।
Mushkilein Jaroor Hain Magar Thehra Nahi Hoon Main,
Manzil Se Jara Keh Do Abhi Pahucha Nahi Hoon Main.
मुश्किलें जरुर हैं मगर ठहरा नहीं हूँ मैं,
मंज़िल से जरा कह दो अभी पहुंचा नहीं हूँ मैं।
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो,
Chupke Se Aakar Iss Dil Mein Utar Jate Ho,
Saanso Mein Meri Khushbu BanKe Bikhar Jate Ho,