Chehre Pe Mere Zulfo Ko Failao Kisi Din,
Kyun Roz Garajate Ho, Baras Jao Kisi Din,
चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन,
क्यूँ रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन,
Main Kuchh Lamha Aur Tera Saath Chahta Hu,
Aankho Mein Jo Jam Gayi Woh Barsaat Chahta Hu,
मैं कुछ लम्हा और तेरा साथ चाहता हूँ,
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता हूँ,
जलियाँवाला बाग हत्या कांड के खिलाफ टैगोर जी 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई नाइटवुड की उपाधि को अपने देश और देशवासियों के लिए वापस कर दिया था महान लेखक रवींद्र नाथ टैगोर के लेखन आज भी देश वासियों की प्रेरणास्त्रोत है।