Saahil Pe Pahunchne Se Inkaar Kise Hai Lekin,
Toofano Se Ladne Ka Maza Hi Kuchh Aur Hai,
साहिल पे पहुंचने से इनकार किसे है लेकिन,
तूफ़ानो से लड़ने का मज़ा ही कुछ और है,
Sukoon Mil Gaya Mujhko Badnaam Hokar,
Aapke Har Ek ilzaam Pe Yun Be-Zubaan Hokar,
सुकून मिल गया मुझको बदनाम होकर,
आपके हर एक इल्ज़ाम पे यूँ बेजुबान होकर,
हम अपने देश के लिए आज़ादी चाहते हैं, पर दूसरों का शोषण कर के नहीं , ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखा कर….मैं अपने देश की आजादी ऐसे चाहता हूँ कि अन्य देश मेरे आजाद देश से कुछ सीख सकें , और मेरे देश के संसाधन मानवता के लाभ के लिए प्रयोग हो सकें।
रहीम दास अकबर के नौ रत्नों में से एक थे। रहीम दास बैरम खान और सलीमा सुल्ताना के पुत्र थे।रहीम के पिता बैरम खान मुगल शासक अकबर के 13 वर्ष तक संरक्षक थे।