आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं, वैसे तो हर वर्ष 24 बार एकादशी तिथि होती हैं लेकिन देवशयनी एकादशी तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु जी चार महीने के लिए योग निद्रा पर सोने के लिए चले जाते हैं, जिसके कारण इन चार महीनों में शादी विवाह जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। भगवान विष्णु जी चार महीनों के बाद कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसको हम लोग देवप्रबोधनी एकादशी और देवउठनी एकादशी के नाम से लोग जानते हैं इसी दिन पुनः योग निद्रा से उठ जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में होली का विशेष महत्व होता है, होली की रात को किये जाने वाले उपाय जल्द फल देने वाले माने जाते हैं। आज हम आपको होली से जुड़े हुए कुछ चमत्कारी उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
गुड़ी पड़वा का पर्व हमारे हिन्दू धर्म में एक विशेष पर्व होता है यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और गोवा के साथ-साथ दूसरे दक्षिण के राज्यों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन से सारे देश में नए हिन्दू वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्म जी इस सृष्टि की रचना की थी। इस वर्ष गुड़ी पड़वा का त्योहार 2 अप्रैल 2022 को मनाया जायेगा।
दिवाली की शांम को हम लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं और माता लक्ष्मी जी के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं, दिवाली में दीपक जलाने को लेकर भी कुछ नियम होते हैं यदि हम नियमों को ध्यान में नहीं रखते हैं तो माता लक्ष्मी हमसे रुष्ट हो जाती हैं और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है। आज हम आपको दिवाली के दौरान कहां-कहां दीपक जलाने चाहिये उसके बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आपको जरूर ध्यान में रखना चाहिये तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
देवी माता के पावन 9 दिन का पर्व नवरात्र के नाम से जाना जाता है, शारदीय नवरात्रि इस बार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को 26 सितंबर 2022 से शुरूहोकर 4 अक्टूबर तक चलने वाले हैं। माता के नवरात्रि के दौरान माता के अलग-अलग रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है, नवरात्रि के बाद 5 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा और इसी दिन माता दुर्गा जी का विसर्जन भी किया जाता है।