Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा में वर्णित अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का क्या है रहस्य

Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा में वर्णित अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का क्या है रहस्य

Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा में वर्णित अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का क्या है रहस्य-

दोस्तों हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मंगलवार के दिन को हनुमान जी का दिन माना जाता है, हमारे धर्म में हनुमान जी को प्रमुख देवता माना जाता है और इनको चिरंजीवी होने का आशीर्वाद मिला है जिसके चलते हनुमान जी कलियुग में भी मौजूद हैं। मंगलवार को हनुमान जी का प्रमुख दिन माना जाता है, इस दिन जो भी व्यक्ति हनुमान जी पूजा करता है उसकी सभी बाधायें दूर हो जाती हैं और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

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हनुमान चालीसा का पाठ जो व्यक्ति नियमित रूप से करता है उसको कई सारे फायदे मिलते हैं, हनुमान जी की कृपा उस पर हमेशा बनी रहती है और उसके बिगड़े काम भी बन जाते हैं। हमें हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिये लेकिन यदि यह संभव ना हो तो शनिवार और मंगलवार के दिन इसका पाठ अवश्य करना चाहिये इससे आपको कई सारे लाभ मिलेंगे।

 

भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का वरदान माता सीता जी के द्वारा प्राप्त हुआ था, नौ निधियों को प्राप्त करने के बाद किसी भी प्रकार के धन और संपत्ति की कमी नहीं रहती है, हनुमान जी के पास आठ सिद्धियाँ भी मौजूद हैं जिनके द्वारा वीर हनुमान किसी भी रूप को धारण कर सकते हैं, आज हम आपको हनुमान जी के पास मौजूद अष्ट सिद्धियों और नव निधियों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं। 

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हनुमान जी के पास मौजूद अष्ट सिद्धियाँ-

अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।

महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।

गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।

लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।

हनुमान चालीसा के अतिरिक्त मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी अष्ट सिद्धियों का उल्लेख किया गया है।

प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।

प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं।

ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।

वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।


हनुमान जी के पास मौजूद नौ निधियाँ-

पद्म निधि: पद्मनिधि लक्षणो से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।

महापद्म निधि: महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।

नील निधि: निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।

मुकुंद निधि: मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्य संग्रह में लगा रहता है।

नन्द निधि: नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणों वाला होता है वही कुल का आधार होता है।

मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करने वाला होता है।

कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुण वाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।

शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।

खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं।