Navratri Special 2022: नवरात्रि में क्यों किया जाता है सोलह शृंगार,क्यों है इसका विशेष महत्व

Navratri Special 2022: नवरात्रि में क्यों किया जाता है सोलह शृंगार,क्यों है इसका विशेष महत्व

Navratri Special 2022: नवरात्रि में क्यों किया जाता है सोलह शृंगार, क्यों है इसका विशेष महत्व-

देवी माता के पावन 9 दिन का पर्व नवरात्र के नाम से जाना जाता है, शारदीय नवरात्रि इस बार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को  26 सितंबर 2022 से शुरूहोकर 4 अक्टूबर तक चलने वाले हैं। माता के नवरात्रि के दौरान माता के अलग-अलग रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है, नवरात्रि के बाद 5 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा और इसी दिन माता दुर्गा जी का विसर्जन भी किया जाता है। शास्त्रों में माता दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की महिमा कही गई है, माता के हर रूप की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। 

 

हमारे हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है, इस दौरान लोग माता को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते रहते हैं। माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत सारे लोग सारे नवरात्रि में व्रत रखते हैं और सुबह-शाम माता की पूजा करते हैं,शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा के साथ-साथ माता का शृंगार करना बहुत जरूरी होता है।

 

हमारे हिंदू धर्म में सोलह शृंगार का विशेष महत्व होता है, शादी के बाद स्त्रियों को सोलह शृंगार करना शुभ माना जाता है। जब स्त्रियां सोलह शृंगार करती हैं उनकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है, सोलह शृंगार करने वाली स्त्रियों के प्रति की उम्र बढ़ बढ़ जाती है। बहुत सारी स्त्रियां ऐसी होती हैं जिन्हें सोलह शृंगार के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है जिसके चलते वह पूरे सोलह शृंगार नहीं कर पाती हैं। आज हम आपको सोलह शृंगार के बारे में बताने जा रहे हैं तो बने रहे हमारे साथ किसी देरी के शुरू करते हैं। 

 

1.सिंदूर-
सिंदूर को सोलह शृंगार में विशेष महत्व दिया गया है, विवाह के समय स्त्रियों को मांग में सिंदूर लगाया जाता है, सिंदूर को मांग में लगाने से सुहागिन स्त्री की पहचान होती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जो स्त्रियां अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं, इससे उनके पति की आयु लंबी हो जाती है और उनके पति की रक्षा भी होती है। 

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2.मंगलसूत्र-
मंगलसूत्र को सोलह शृंगार में सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, शादी के दौरान मंत्रों के साथ पति अपनी पत्नी के गले में मंगलसूत्र पहनाता है। मंगलसूत्र को सुहाग का प्रतीक के रूप में माना जाता है, हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जो महिला अपने गले में मंगलसूत्र धारण करती है उसके पति को बुरी नजर नहीं लगती है तथा की आयु भी लंबी हो जाती है। 

 

3.मेंहदी-
मेहंदी हाथों के साथ-साथ स्त्री की सुंदरता के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है, मेहंदी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है पति-पत्नी का सारा जीवन उतना ही खुशियों से भरा होता है। एक मान्यता यह भी है अगर महिला मेहंदी लगाती है और उसका रंग गहरा हो जाता है तो इसका अर्थ है कि उस महिला का पति उससे बहुत प्रेम करता है। 

 

4.चूड़ियाँ-
चूड़ियां भी सुहागिन स्त्री की पहचान होती हैं, हर शादीशुदा स्त्री को अपने हाथों में कांच की चूड़ियां अवश्य पहननी चाहिए। कांच की चूड़ियां पहनने से स्त्री से नकारात्मकता  शक्तियों से दूर होती है क्योंकि जब यह खनकती हैं तो बुरी शक्ति स्त्रियों के पास नहीं आ पाती है। 

 

5.पायल-
महिलाओं को आकर्षक दिखने के लिए पायल का अहम योगदान होता है, स्त्रियों को घर की लक्ष्मी के रूप में देखा जाता है, इसलिए जब घर में बहू आती है उसको पायल अवश्य पहना जाती है ताकि घर की संपन्नता बनी रहे और घर नकारात्मक शक्तियों से दूर रहे। 

 

6.कर्णफूल-
कानों में पहने जाने वाले कर्णफूल का सोलह शृंगार में अहम योगदान होता है, मान्यताओं के अनुसार कर्णफूल को  धारण करने का अर्थ होता है कि आप सदैव अपने पति से अच्छी बातें ही सुनना पसंद करती हैं। 

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7.अंगूठी-
उंगलियों में पहने जाने वाली अंगूठी को सोलह शृंगार का अहम हिस्सा माना जाता है, सगाई के दौरान लड़का लड़की एक दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।  यह अंगूठी बाएं हाथ की अनामिका उंगली में पहनी जाती है, दरअसल अनामिका अंगुली की नसें हमारे हृदय से जुड़ी होती हैं इससे ऐसा माना जाता है कि पति और पत्नी के बीच में प्रेम बना रहता है। 

 

8.बिछिया-
हिंदू धर्म में जब शादी होती है शादी के दौरान महिलाओं के पैरों में बिछिया पहनाई जाती है। बिछिया चांदी की धातु की बनी होती हैं और यह सुहाग के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, बिछिया के बिना हर स्त्री का सुहाग अधूरा माना जाता है। 

 

9.गजरा-
कजरा पहनने से स्त्रियों की बालों की खूबसूरती बढ़ती है तथा स्त्रियों की खूबसूरती भी बढ़ती है। मान्यताओं के अनुसार बालों में गजरा लगाने से महिलाओं के जीवन में प्रेम की कमी नहीं होती है, बालों में गजरा पहनने से पति और पत्नी के बीच में प्यार और मजबूत हो जाता है। 

 

10.लाल जोड़ा-
लाल जोड़े को स्त्रियों के सुहाग का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, दरअसल लाल जोड़ा देवी माता से जुड़ा होता है। अक्सर पूजा के दौरान स्त्रियां लाल जोड़ा पहनना पसंद करती हैं ताकि माता की कृपा उन पर बनी रहे और कोई भी बुरी शक्ति उनको परेशान ना कर सके।

 

11.मांग टीका-
मांग टीका भी स्त्रियों के सोलह शृंगार में से महत्वपूर्ण है,  मांग टीका माथे पर लगाया जाता है, मांग टीका लगाने से पति और पत्नी के बीच में प्रेम बढ़ता है और पति की उम्र लंबी होती है। 

 

12.नथ-
नाक में पहने जाने वाली नथ का  सोलह शृंगार में विशेष योगदान होता है, शादी के समय दुल्हन को सोने की नथ पहनाई जाती है, नथ के बिना दुल्हन का शृंगार पूरा नहीं होता है और औरतें हमेशा नथ पहनना पसंद करती हैं। 

 

13.बाजूबन्द-
भुजाओं में पहने जाने वाले बाजूबंद को भी सोलह शृंगार का अहम हिस्सा माना जाता है, बाजूबंद को पहनने से महिलाओं के शरीर में रक्त का संचार सही ढंग से होता है। मान्यताओं के अनुसार जो स्त्रियां साथ में बाजूबंद पहनती हैं उनके पास कभी धन की कमी नहीं हो पाती है। 

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14.कमरबंध-
कमर में पहने जाने वाले कमरबंद का भी विशेष महत्व होता है, महिलाओं के लिए चांदी द्वारा कमरबंद बनवाया जाता है, कमरबंद पहनने से घर के प्रति स्त्रियों की जिम्मेदारी का प्रतीक माना रहता है। 

 

15.बिंदी-
हिंदू धर्म में बिंदी का भी महत्वपूर्ण योगदान है, विवाह के बाद स्त्री अपने माथे पर बिंदी जरूर लगाती है। बिंदी को दोनों भौंह के बीच में लगाया जाता है इसके पीछे की मान्यता आया है बिंदी लगाने से औरत के पति की उम्र बढ़ती है तथा इसके साथ-साथ महिला का दिमाग भी शांत रहता है। 

 

16.काजल-
काजल का भी सोलह शृंगार में विशेष स्थान है, काजल लगाने से आंखों की सुंदरता बढ़ती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जो स्त्री अपने आंखों में काजल लगाती है जिससे उसके पति को बुरी नजर नहीं लगती है।