Ittefak Se Hi Sahi Magar Mulakat Ho Gayi,
Dhoondh Rahe The Hum Jinhein Unn Se Baat Ho Gayi,
इत्तेफ़ाक़ से ही सही मगर मुलाकात हो गयी,
ढूंढ रहे थे हम जिन्हें उन से बात हो गयी
आदमियों का खून और मांस खाने के बाद उसने सोच क्यों ना आदमियों को मारकर खाया जाए, इस तरह वो आदमियों की तलाश में निकल पड़ा, करीब तीन दिनों तक जंगल में घूमने के बाद उसको एक बस्ती दिखाई देती है, राक्षस ने बस्ती में बने हुए मकानों को पहली बार ही देखा था लेकिन मकानों में लगे हुए दरवाजों को देखकर वह बहुत हैरान हो गया, उसने घर में जाने की कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती क्योंकि घरों के दरवाजे बहुत छोटे थे जिसके कारण वो घरों में मौजूद लोगों को पकड़ नहीं पा रहा था।
yoon aaye jindagee mein ki khushee mil gaee,
mushkil raahon mein chalane kee vajah mil gaee,
यूं आये जिंदगी में कि ख़ुशी मिल गई,
मुश्किल राहों में चलने की वजह मिल गई,
दोस्तों हमें भी कभी भी दूसरे के काम को छोटा नहीं समझना चाहिये, बेशक आपका काम बड़ा है लेकीन किसी दूसरे के काम को छोटा समझना उचित नहीं होता है हम दूसरों को केवल बाहरी तरफ से जानते हैं और उस काम को करने में होनी परेशानियों के बारे में हमें जानकारी नहीं होती है इसलिए किसी दूसरे के काम को कभी छोटा नहीं समझना चाहिये।