हमारे हिन्दू धर्म में दशहरा का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया है, इस त्योहार को हम लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में हर साल मनाते हैं। दशहरा मनाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह भगवान श्री राम जी ने इसी दिन लंका के राजा रावण का वध करके अच्छाई पर जीत हासिल की थी और दुनिया को यह संदेश दिया था कि बुराई चाहे कितनी भी मजबूत क्यों ना हो लेकिन अच्छाई से उसे आखिर में परास्त होना ही पड़ता है। दशहरा का त्योहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इसी माता दिन माता दुर्गा जी के नवरात्रि की समाप्ति होती है और उनकी मूर्ति को बड़ी धूम-धाम से नदी में विसर्जित किया जाता है।
इस वर्ष दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर 2022 के दिन होने वाला है, दिवाली के दिन हम लोग शाम के दौरान विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं। दिवाली में हम सभी लोगों के घर में हर वर्ष नई गणेश और माता लक्ष्मी जी पूजा की जाती है लेकिन आपको लक्ष्मी और गणेश जी मूर्ति खरीदते समय कुछ बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है, आज हम आपको इन्ही बातों के बारे में बताने जा रहे हैं तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में माता दुर्गा का विशेष स्थान है, रोजाना माता दुर्गा जी आराधना करने से हमें कई सारे फायदे होते हैं। चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्र माता दुर्गा जो समर्पित होते हैं इस दौरान माता की पूजा करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है। नवरात्र में माता के सभी रूपों की पूजा की जाती है और चारों ओर का माहौल त्योहारों के जैसा होता है, जगह-जगह माता की मूर्तियों को स्थापना की जाती है और जागरण आदि किये जाते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है, यह त्योहार दिवाली के एक दिन पहले होता है। इस बार यह त्योहार 23 अक्टूबर को होने वाला है, नरक चतुर्दशी को लेकर कई सारी कहानियाँ जुड़ी हुई हैं जिनके अनुसार इस दिन पाँच तरह के त्योहार मनाए जाते हैं और पाँच तरह के देवताओ का पूजन भी किया जाता है तो चलिए जानते हैं कौन से वो पाँच त्योहार हैं जो छोटी दिवाली के दिन मनाए जाते हैं।
दोस्तों हरियाणा राज्य में करनाल जिले में औगंद, गोंदर व कतलाहेड़ी गाँव में राजपूत समाज की महिलायें इस त्योहार को नहीं मनाती है, दरअसल इसके पीछे एक श्राप को माना जाता है जिसके चलते इसे नहीं मनाया जाता है।