Sawan 2022: भोलेनाथ का प्रिय महिना सावन 2022 कब से हो रहा है शुरू

Sawan 2022: भोलेनाथ का प्रिय महिना सावन 2022 कब से हो रहा है शुरू

Sawan 2022: भोलेनाथ का प्रिय महिना सावन 2022 कब से हो रहा है शुरू, क्या है सावन का महत्व-

सावन का महिना भगवान भोलेनाथ का महिना माना जाता है, इस महीने में जो भी व्यक्ति भगवान शिव जी की पूजा करता है उस पर भोलेनाथ अधिक प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है। सावन के महीने में भोलनाथ को खुश करने के लिए लोग अलग-अलग तरह के अनुष्ठान करते हैं कोई रुद्राभिषेक करता है, कोई कावड़ यात्रा पर जाता है तो कोई रोजाना भोलेनाथ के दरबार में जाकर शिव जी को जल चढ़ाता है। इस वर्ष सावन के पवित्र महीने की शुरुआत 14 जुलाई 2022 से होने जा रही है, इस बार सावन के महीने में चार सोमवार पड़ने वाले हैं, जिनमे से पहला सोमवर 18 जुलाई 2022 को और सावन का अंतिम सोमवार 8 अगस्त 2022 को पड़ने जा रहा है। 

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इस वर्ष 2022 में सावन में पड़ने वाले सोमवार-

सावन का पहला सोमवार - 18 जुलाई 2022, सोमवार
सावन का दूसरा सोमवार - 25 जुलाई 2022, सोमवार
सावन का तीसरा सोमवार -  01 अगस्त 2022 सोमवार
सावन का अंतिम सोमवार - 08 अगस्त 2022,  सोमवार


सावन के महीने में भोलेनाथ कई पूजा करने से भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं अपने भक्तों के सारे दुखों को दूर कर देते हैं, आज हम आपको शिव चालीसा को लेकर आए हैं यदि आप इसके सावन के महीने में रोजाना पाठ करते हैं या फिर केवल सोमवार के दिन पाठ करते हैं तो आप पर भोलेनाथ की कृपा बरसती रहेगी और आपके सारे दुख दूर होते चले जायेंगे। 

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भोलेनाथ को इन मंत्रों से करें प्रसन्न-

ॐ इमा रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतीः| यशा शमशद् द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्तिमन्ननातुराम्||1. 
भोलेनाथ की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा ताम्बूल पूगीफल समर्पण करना चाहिए। 

ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च| नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च||2. 
भोलेनाथ की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा सुगंधित तेल आदि समर्पित करना चाहिये। 

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ।।
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय। सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।।3. 

 भोलेनाथ के इस मंत्र का जाप करने से आपको स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। 
 
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सर्ज्जनीस्थो| वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद्||4. 
भोलेनाथ जी के इस मंत्र का जाप करके उन्हे स्नान समर्पण करना चाहिये। 

ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च| नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च||5. 
भोलेनाथ की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा दीप दर्शन करना चाहिये। 

ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च| नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च||6. 
भोलेनाथ की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा शिव जी को बिलवपत्र समर्पित करना चाहिये। 

ॐ ब्रह्म ज्ज्ञानप्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेन आवः| स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः||7. 
भोलेनाथ की पूजा करते समय इस मंत्र के साथ उन्हे यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिये। 

ॐ नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः| शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च||8. 
इस मंत्र के द्वारा आपको भोलेनाथ को गंध आदि समर्पण करना चाहिये।

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय| नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय| मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय| श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।9. 

मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए आपको शिव जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिये। 

ॐ नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोत्तरणाय च| नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेन्याय च||10. 
भोलेनाथ की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा पुष्प आदि समर्पित करना चाहिये। 

ॐ नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चापरजाय च| नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुधन्याय च||11. 
भोलेनाथ को इस मंत्र के द्वारा नैवेद्य आदि समर्पित करना चाहिये। 

ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च| नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च||12. 
भोलेनाथ को इस मंत्र के द्वारा धूप आदि समर्पित करना चाहिये। 

शिव चालीसा-

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥