Gudi Padwa 2022: कब और कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का त्योहार

Gudi Padwa 2022: कब और कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का त्योहार

Gudi Padwa 2022: कब और कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का त्योहार- 

गुड़ी पड़वा का पर्व हमारे हिन्दू धर्म में एक विशेष पर्व होता है यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और गोवा के साथ-साथ दूसरे दक्षिण के राज्यों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन से सारे देश में नए हिन्दू वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्म जी इस सृष्टि की रचना की थी। इस वर्ष गुड़ी पड़वा का त्योहार 2 अप्रैल 2022 को मनाया जायेगा। 

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भारत के दक्षिण भाग में गुड़ी पड़वा का विशेष महत्व इसलिए हैं क्योंकि इसके पीछे की कहानी रामायण काल से जुड़ी हुई है। कहा जाता है रामायण काल में दक्षिण भारत पर राजा बलि का शासन हुआ करता है, जब रावण में धोखा देकर माता सीता का हरण कर ले गया है तो राम जी माता सीता को वापस लाने के रावण से युद्द करने की जरूरत थी जिसके लिए उन्हे एक सेना की जरूरत पड़ी। जब श्री राम चंद्र जी यहाँ पर आये तो उनकी मुलाकात सुग्रीव से हो जाती है लेकिन सुग्रीव बलि के शासन के बारे में उन्हे बताने से मना कर देते हैं इसके बाद राम चंद्र जी बाली का वध करके वहाँ के जनता को बलि के कुशासन से मुक्त कर दिया, ऐसी मान्यता है भगवान राम ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ऐसा किया किया जिसके कारण इसी दिन लोग गुड़ी जिसको विजयपताका के नाम से जानते है उनको फहराते हैं।

 

गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों को विशेष तरह के फूलों से सजाते हैं और कई तरह की रंगोलियाँ भी बनाते हैं। इस त्योहार को लेकर विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के लोगों में बेहद खुशी का माहौल रहता है, इससे अच्छी फसल और घर में समृद्धि आने का संकेत होता है। 

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गुड़ी पड़वा का त्योहार में बनाए जाने वाले पकवान हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं, चाहे वह आंध्र प्रदेश में बांटा जाने वाला प्रसाद पच्चड़ी हो, या फिर महाराष्ट्र में बनाई जाने वाली मीठी रोटी पूरन पोली हो यह सभी सेहत के लिए लाभदायक होते हैं।  पच्चड़ी के बारे में
ऐसी मान्यता है कि इसको खाली पेट सेवन करने से चर्म रोग दूर हो जाते है। गुड़ी पड़वा के दिन से नवरात्रि का आरंभ हो जाता है इसलिए इस पर्व को सारे देश में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है और माता दुर्गा जी की पूजा की जाती है। 

 

गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और रंगोली, बंदनवार से घरों को सजाते हैं फिर अपने घरों के सामने गुड़ी यानि एक झण्डा रखते हैं और  इसी में एक बर्तन पर स्वस्तिक का निशान बनाया जाता है और फिर उसमें रेशम का कपड़ा लपेट कर गुड़ी के पास रख दिया जाता है। इस दिन लोग पारंपरिक परिधान पहनते हैं और भगवान सूर्य देव की उपासना और पूजा करते हैं, इस दिन लोगों के घरों में सुंदरकांड, रामरक्षास्त्रोत, देवी भगवती के मंत्रों का जाप भी किया जाता है।