Lord Shiva Puja: ये हैं भगवान भोलेनाथ के 11 रौद्र रूप, जिनकी पूजा करने से सारे दुख हो जाते हैं दूर

Lord Shiva Puja: ये हैं भगवान भोलेनाथ के 11 रौद्र रूप, जिनकी पूजा करने से सारे दुख हो जाते हैं दूर

Lord Shiva Puja: ये हैं भगवान भोलेनाथ के 11 रौद्र रूप, जिनकी पूजा करने से सारे दुख हो जाते हैं दूर-

भगवान भोलेनाथ की महिमा को सभी लोग जानते हैं, जिस किसी पर भोलेनाथ की कृपा हो जाती है उसका जीवन धन्य हो जाता है। भगवान भोलेनाथ को मानना बहुत आसान होता है ये जरा ही भक्ति को देखकर अपने भक्त की मनोकामना पूरी कर देते हैं लेकिन भोलेनाथ को सच्चे मन से की गयी पूजा ही सफल होती है।

 

भगवान शंकर को स्वयंभू के नाम से भी जाना जाता है, स्वयंभू का अर्थ है जिसका कोई ना आदि होता है और ना ही कोई अंत होता है इसलिए भोलेनाथ को अजन्मा और अविनाशी के रूप में जाना जाता है। भोलेनाथ को इस सृष्टि का संहारक कहा जाता है और उनके संहारक रूप को रुद्र कहा जाता है रुद्र के 11 रूपों का वर्णन पुराणों में देखने को मिलता है। आज हम आपके लिए भोलेनाथ के 11 रौद्र रूप को  बताने जा रहे हैं जिनकी पूजा करने से सारे कष्टों से छुटकारा मिलता है। 

 


भगवान शिव के 11 रुद्र रूप (Bhagwan Shiv K 11 Rudra Roop In Hindi)

 

1.शम्भु
ब्रह्मविष्णुमहेशानदेवदानवराक्षसाः ।

यस्मात्‌ प्रजज्ञिरे देवास्तं शम्भुं प्रणमाम्यहम्‌ ॥

 

2.पिनाकी
क्षमारथसमारूढ़ं ब्रह्मसूत्रसमन्वितम्‌ ।

चतुर्वेदैश्च सहितं पिनाकिनमहं भजे ॥

 

3.गिरीश
कैलासशिखरप्रोद्यन्मणिमण्डपमध्यमगः ।

गिरिशो गिरिजाप्राणवल्लभोऽस्तु सदामुदे ॥

 

4.स्थाणु
वामांगकृतसंवेशगिरिकन्यासुखावहम्‌ ।

स्थाणुं नमामि शिरसा सर्वदेवनमस्कृतम्‌ ॥

 

5.भर्ग
चंद्रावतंसो जटिलस्रिणेत्रोभस्मपांडरः ।

हृदयस्थः सदाभूयाद् भर्गो भयविनाशनः ॥

 

6.भव
योगीन्द्रनुतपादाब्जं द्वंद्वातीतं जनाश्रयम्‌ ।

वेदान्तकृतसंचारं भवं तं शरणं भजे ॥

 

7.सदाशिव
ब्रह्मा भूत्वासृजंल्लोकं विष्णुर्भूत्वाथ पालयन्‌ ।

रुद्रो भूत्वाहरन्नंते गतिर्मेऽस्तु सदाशिवः ॥

 

8.शिव
गायत्री प्रतिपाद्यायाप्योंकारकृतसद्मने ।

कल्याणगुणधाम्नेऽस्तु शिवाय विहितानतिः ॥

 

9.हर
आशीविषाहार कृते देवौघप्रणतांघ्रये ।

पिनाकांकितहस्ताय हरायास्तु नमस्कृतः ॥

 

10.शर्व
तिसृणां च पुरां हन्ता कृतांतमदभंजनः ।

खड्गपाणिस्तीक्ष्णदंष्ट्रः शर्वाख्योऽस्तु मुदे मम ॥

 

11.कपाली
दक्षाध्वरध्वंसकरः कोपयुक्तमुखाम्बुजः ।

शूलपाणिः सुखायास्तु कपाली मे ह्यहर्निशम्‌ ॥