हे ज्योति रूप ज्वाला माँ

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ-

 

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ,
तेरी ज्योति सबसे न्यारी है ।
हर एक जन इसका परवाना,
हर एक जान इसका पुजारी है ॥
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली

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जब कुछ भी न था इस धरती पर,
तेरी ज्योति का नूर निराला था ।
न सूरज, चंदा, तारे थे,
तेरी ज्योति का ही उजाला था ।
कैसी होगी तेरी ज्योति,
जब सूरज एक चिंगारी है ॥
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ॥

 

जिस घर में ज्योति जलती है,
वह घर पावन हो जाता है ।
ज्योति से ज्योति मिल जाती,
वह जग में अमर हो जाता है ।
यह ज्योति जीवन देती है,
यह ज्योति पालनहारी है ।
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ॥

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धरती का सीना चीर के माँ,
पाताल लोक से आई है ।
इसकी लीला का अंत नहीं,
कण-कण में यही समय है ।
निर्बल को शक्ति देती है,
यह शक्ति अतुल तुम्हारी है ।
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली