मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
Tum Yahan Dharti Par Lakeeren Kheenchte Ho,
Ham Vahaan Apne Liye Naye Aasman Dhoondhte Hain,
तुम यहाँ धरती पर लकीरें खींचते हो,
हम वहाँ अपने लिये नये आसमान ढूंढते हैं,
बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह,
हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं,
Badalna Nahi Aata Humein Mausam Ki Tarah,
Har Ek Rut Mein Tera Intezaar Karte Hain,