मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
सांसारिक प्यार को जला दे, अपनी राख को घिसे और उसकी स्याही बनाये, अपने दिल को कलम बनाये, अपनी बुद्धि को लेखक बनाये, और वह लिखे जिसका कोई अंत ना हो और जिसकी कोई सीमा न हो।