आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया

आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया

आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।

 

Aankhon Ke Intezaar Ka De Kar Hunar Chala Gaya,
Chaha Tha Ek Shakhs Ko Jaane Kidhar Chala Gaya,
Din Ki Woh Mehfilein Gayin Raaton Ke RatJage Gaye,
Koi Samet Kar Mere Shaam-o-Sahar Chala Gaya.