शास्त्र में फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि के बीच के दिनों को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है, इस बार होलाष्टक 10 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं और 17 मार्च तक चलने वाले हैं। होलाष्टक के दिनों में कुछ काम करने को मना किया जाता है तो कुछ काम करना शुभ भी माना जाता है, आज हम आपको होलाष्टक के दिनों में किन कामों को करना चाहिये और किन कामों को करने से बचना चाहिये इसके बारे में बताने जा रहे हैं, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
दोस्तों माता के पवित्र नवरात्रि शुरू हो चुके हैं, इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलने वाले हैं और फिर 15 अक्टूबर को दशहरे के दिन मूर्ति विसर्जन होगा। माता को प्रसन्न करने के लिए लोग अलग-अलग तरह के उपाय करते हैं लेकिन माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी होता है। आज हम आपको नवरात्रि के दौरान कुछ नियमों को बताने जा रहे हैं जिनका पालन हम सभी करना चाहिये, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
पितृपक्ष ,में श्राद्ध के दौरान बहुत सारे लोगों को अपने आस-पास पितरों के होने का आभास होता है, और कुछ लोगों के सपनों में भी उनके पूर्वज आते रहते हैं तो लोगों के मन में जानने की इच्छा होती है आधिक सपने में पितरों को दिखाई देने से किस फल की प्राप्ति होती है। आज हम आपको सपने में पितरों को देखने से मिलने वाले संकेतों के बारे में बताने जा रहें हैं और यह भी बताएंगे की सपने में पितरों को देखने कैसा फल देने वाला होता है तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
हमारे हिन्दू धर्म में दशहरा का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया है, इस त्योहार को हम लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में हर साल मनाते हैं। दशहरा मनाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह भगवान श्री राम जी ने इसी दिन लंका के राजा रावण का वध करके अच्छाई पर जीत हासिल की थी और दुनिया को यह संदेश दिया था कि बुराई चाहे कितनी भी मजबूत क्यों ना हो लेकिन अच्छाई से उसे आखिर में परास्त होना ही पड़ता है।
एकादशी का व्रत हिन्दुओ के लिए बेहद महत्वपूर्ण व्रत होता है लोगों की ऐसा मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पितरों को स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है। एकादशी के दिन इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को धान, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित माना जाता है। एकादशी व्रत की शुरुआत एक दिन पूर्व यानि दशमी की तिथि से शुरू हो जाती यही इस दिन लोग सुबह उठकर स्नान आदि करते हैं और फिर नमक के बिना बना हुआ भोजन ग्रहण करते हैं। एकादशी का व्रत बड़े नियम और संयम के साथ रखने की जरूरत होती है इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को एकादशी के पहले की तिथि यानि दशमी के सूर्यास्त से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक व्रत रखन पड़ता है।