तेज बारिश में कभी सर्द हवाओं में रहा,
एक तेरा ज़िक्र था जो मेरी सदाओं में रहा,
कितने लोगों से मेरे गहरे रिश्ते थे मगर,
तेरा चेहरा ही सिर्फ मेरी दुआओं में रहा।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। समाज में उस समय छुआछूत, स्त्रियों को वेद पढ़ने की अनुमति ना होना, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह ना होना आदि बहुत सी बुराइयों को विरोध करके उन्हे दूर करने का प्रयास किया। आज हम आपको स्वामी दयानंद सरस्वती जी के कुछ अनमोल विचार और प्रेरक कथन बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए जीवन में प्रेरणा का काम करने वाले हैं, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
Aankhon Ke Intezaar Ka De Kar Hunar Chala Gaya,
Chaha Tha Ek Shakhs Ko Jaane Kidhar Chala Gaya,
आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,