एक रोचक और प्रेरणादायक कहानी 'तोते की सीख'

एक रोचक और प्रेरणादायक कहानी 'तोते की सीख'

एक रोचक और प्रेरणादायक कहानी 'तोते की सीख'-

दोस्तों एक समय की बात है एक जंगल में एक आम के पेड़ पर एक तोता रहता था, तोता आम के मीठे-मीठे फलों को खाता था और पेड़ के डालियों पर बैठकर गाने भी गाता था। एक बार जंगल मे सूखा पड़ गया जिसके कारण जंगल के सारे पेड़ और तालाब सूख गए जिसके कारण जंगल के सभी दूसरे पशु और पक्षी जंगल छोड़कर दूसरी जगह जाने लगे लेकिन उस तोते से अपने आम के पेड़ को नहीं छोड़ा, तोता सारा दिन पेड़ की डाल पर बैठा रहता और ईश्वर से प्रार्थना करता है। तोते को फल और पानी ना मिलने के कारण वो दुबला और कमजोर हो गया था।

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फिर एक दिन उस जंगल से साधु की एक मंडली जा रही थे, उस वीरान से जंगल में कोई जानवर और पक्षी नहीं था लेकिन तोते को आम को पेड़ पर बैठा हुआ देखकर साधु को आश्चर्य हुआ और उसने तोते से पूछा- “अरे, मिठ्ठू महाराज, इस उजड़े सूखे जंगल में तुम अकेले क्या कर रहे हो? भूख प्यास से तुम बेहाल दिखते हो। तुम्हारे सारे संगी साथी पशु पक्षी अपना घर छोड़ दूसरी जगह चले गए हैं। तुम भी चले जाओ दूर किसी और पेड़ में और अपनी जान बचाओ।”

 

तोते से साधु की बात को सुनकर उत्तर दिया-  ” नहीं साधुमहात्माजी। मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैंने इस पेड़ पर बने कोटर में जन्म लिया। यहीं मैं पला बढा। इस पेड़ के मीठे फल खाकर मैं जीता रहा, इसकी छायादार पत्तियों के बीच चैन से जीवन बिताया। यहीं मैंने कितने मित्र बनाएं। इस पेड़ ने मुझे कितनी बार दुश्मनों से बचाया। इसके साथ मैंने जीवन के कितने सुख भरे दिन बिताए। लेकिन आज जब इस वृक्ष का बुरा वक्त आया है तो मैं इसे कैसे त्याग दूं?जिसके साथ सुख भरे दिन बिताये उसके साथ अब दुख के दिन भी बाँटूंगा।”

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तोते की बात को सुनकर साधु लोग बेहद प्रसन्न हुए जिसके पास उनलोगों ने उस देश के राजा के पास गए और जंगल के सूख जाने की खबर राजा को बताई और जंगल को बचाने के लिए राजा से आग्रह भी किया, राजा ने साधु जन की बातों को सुनकर तुरंत एक विशाल नहर खुदवाकर जंगल तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था कर दी जिसके कारण उस जंगल के सारे पेड़ और पौधे फी से हरे भरे हो गए और पेड़ों पर फिर से फल लगें जिसके बार जंगल छोड़ कर गए सारे पशु और पक्षी फिर से जंगल में वापस आ गये। 

 

कहानी से सीख- इस कहानी से माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बुरे वक्त में कभी भी अपने लोगों का साथ नहीं छोड़ना चाहिये।