अंधा घोड़ा

अंधा घोड़ा

अंधा घोड़ा कहानी

एक शहर के  पास में  एक farm house मे दो घोड़े रहा करते थे, दूर से कोई देखे तो वो दोनों घोड़े एक जैसे ही दिखते थे लेकिन नजदीक से देखने पर पता चलता था की उनमे से एक घोडा अंधा था।

घोडा अंधा होने के बावजूद भी उसके मालिक ने घोड़े को निकाला नहीं था बल्कि उस घोड़े की अधिक सुरक्षा और देखभाल करता था, farm house के मालिक ने दूसरे घोड़े  के गले मे एक घंटी को बांध रखा था, उस घंटी की आवाज को सुनकर अंधा घोड़ा दूसरे घोड़े  के पास पहुँच जाता था।

और उस घोड़े  के साथ पीछे-पीछे घूमता रहता था। दूसरा घोडा भी अपने दोस्त अंधे घोड़े का ख्याल रखता था वह बीच-बीच मे पीछे मुड़कर देखता और और ये सुनिश्चित करता था की कही  उसका दोस्त रास्त मे भटक ना जाए, और ये भी सुनिश्चित करता था की उसका मित्र सुरक्षित वापस अपनी जगह पर पहुच जाए और उसके बाद ही वें दोनों आगे की ओर बढ़ते थे। 

बाड़े के मालिक की तरह ही भगवान भी हमे बस इसलिए नहीं छोड़ते है की हमारें कोई कमी या दोष है, भगवान हमारा ख्याल रखते है और जब कभी भी हमे जरूरत पड़ती है तो वो किसी ना किसी को हमारी मदद के लिए अवश्य भेज देते हैं|

कभी-कभी हम लोग उस अंधे घोड़े की तरह होते है जो भगवान के द्वारा बांधी गई घंटी की मदद से अपनी परेशानियों से पार पा जाते है तो कभी-कभी हम अपने गले मे बंधी हुई घंटी के द्वारा दूसरे को मार्ग दिखाने के काम आते हैं।